कृष्ण

जिन आँखों में संसार समाता, 
मैं उन आँखों पर बलहारी हूँ,
सारा जग जिसका दास हैं ,
मैं उस कृष्ण पर दिल हारी हूँ,
सांवला सा रंग जिसका,
चंचल हैं जिसके नैत्र,
जहां भी कदम रखे वो,
चन्दन सा महकने लगे क्षेत्र,
ग्वालो के संग खेलता वो,
करता वो माखन चोरी,
भोली भाली शक्कल बनाकर,
सुनता मईया  की गोद में  लौरी,
धन्य हैं वो मोर पंख,
जो रहता प्रभु के मुकट पर विराजमान,
धन्य हैं वो मोर भी जिसे मिला ये सम्मान,
जिन आँखों में संसार समाता, 
मैं उन आँखों पर बलहारी हूँ,
सारा जग जिसका दास हैं ,
मैं उस कृष्ण पर दिल हारी हूँ,


Comments

  1. IF YOU LIKE IT THEN PLEASE CLICK THE SUBSCRIBE BUTTON SO WHENEVER I POST YOU GET AN E-MAIL NOTIFICATION AND SHARE IT AS WELL. KEEP SUPPORTING ME AND THANK YOU SO MUCH FOR YOUR LOVE. YOU CAN FOLLOW US ON OUR INSTA ACCOUNT @thepower_of_words

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

मेरा तिरंगा

कविता