TWINKLE SHARMA

I CAN'T DEFINE THE PAIN OF THAT INNOCENT CHILD BUT IT'S JUST TRIBUTE TO HER, GOD PLEASE GIVE HER JUSTICE,


मैंने दुनियाँ में  कदम रखना सीखा ही था अभी,
पूरी दुनिया देखना चाहती थी मैं कभी,
मेरी भी आँखों में सपने थे हज़ार,
उछल उछल कर करना चाहती थी मुश्किलों को पार,
बाबा की लाड़ली बिटिया, माँ  दुलारी थी मैं,
मेरे आँगन की गूजती किलकारी थी मैं,
मगर एक दिन इंसानी रूप में आये शैतान,
अपने गंदे हाथो से छलनी करदी मेरी आन,
मेरी आत्मा को बड़ी ही बेहरमी  नोंच डाला,
हैवानियत में मेरे सम्मान को दबोच डाला,

ऐसी गन्दी दुनिया से  अनजान थी मैं भगवान,
जिसने तोड़ डाली मेरे सपनो की कमान,
जिनको मेरी मासूमियत पर जरा सी भी दया न आयी,
सबकुछ ख़त्म हो गया मेरा, कैसे दू रक्षा की दुहाई,
मेरा जो लूट गया वो वापस न आएगा,
मेरा बापू मुझे अब कभी न देख पाएगा,
मेरी माँ मुझे खुद के हाथो से  खिला पायेगी,
मुझे उसके चेहेरे की  बहुत याद आएगी,
अब न बेटी बनाकर भेजना इस संसार में,
या इन दरिंदों, को डालो तुम संहार पे,
इन मोमबत्तियों से न्याय का उजाला न मिल पायेगा,
सच बताऊ मुझे घर  बहुत याद आएगा,
हाथ जोड़कर विनती हैं,  बस करो अब,
कितने बलिदान देगी नारी, और कबतक,
प्रार्थना हैं मेरी अब कभी, किसी और के साथ दोहराना मत,
क्यों झुका रहे हो खुद के भारतीय होने का कद,

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