मेरी माँ
मेरे गम में तेरा हाथ मेरे सर पर हैं, मेरी ख़ुशी ही तेरे लिए सबसे उप्पर, कहने को तो साथी बहुत हैं मेरी माँ, मगर मेरी हिम्मत तेरे दर पर हैं , तेरे आँचल के तले खूब रोया मैं , रोते रोते, दुःख बोलते बोलते सोया मैं, मेरे सोने के तु खुद रोती थी, रोती रोती अपना दामन भिगोती थी, उस दामन में लगे आँसू मेरा कर हैं, कहने को तो साथी बहुत हैं मेरी माँ, मगर मेरी हिम्मत तेरे दर पर हैं , आज जब कमयाबी हैं मेरे साथ, मेरे साथ तू नहीं हैं, दिखावटी मुखौटे बहुत हैं, तेरा वो मासूम चेहरा नहीं हैं, तेरी दी हुई , सीख और संस्कार अब मेरे हमसफ़र हैं, कहने को तो साथी बहुत हैं मेरी माँ, मगर मेरी हिम्मत तेरे दर पर हैं ,