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Showing posts from June, 2019

TWINKLE SHARMA

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I CAN'T DEFINE THE PAIN OF THAT INNOCENT CHILD BUT IT'S JUST TRIBUTE TO HER, GOD PLEASE GIVE HER JUSTICE, मैंने दुनियाँ में  कदम रखना सीखा ही था अभी, पूरी दुनिया देखना चाहती थी मैं कभी, मेरी भी आँखों में सपने थे हज़ार, उछल उछल कर करना चाहती थी मुश्किलों को पार, बाबा की लाड़ली बिटिया, माँ  दुलारी थी मैं, मेरे आँगन की गूजती किलकारी थी मैं, मगर एक दिन इंसानी रूप में आये शैतान, अपने गंदे हाथो से छलनी करदी मेरी आन, मेरी आत्मा को बड़ी ही बेहरमी  नोंच डाला, हैवानियत में मेरे सम्मान को दबोच डाला, ऐसी गन्दी दुनिया से  अनजान थी मैं भगवान, जिसने तोड़ डाली मेरे सपनो की कमान, जिनको मेरी मासूमियत पर जरा सी भी दया न आयी, सबकुछ ख़त्म हो गया मेरा, कैसे दू रक्षा की दुहाई, मेरा जो लूट गया वो वापस न आएगा, मेरा बापू मुझे अब कभी न देख पाएगा, मेरी माँ मुझे खुद के हाथो से  खिला पायेगी, मुझे उसके चेहेरे की  बहुत याद आएगी, अब न बेटी बनाकर भेजना इस संसार में, या इन दरिंदों, को डालो तुम संहार पे, इन मोमबत्तियों से न्याय का उजाला न मिल पायेगा, सच बताऊ मुझे घर  बहुत याद आएगा, हाथ जोड़

DESIRE

I HAVE A DESIRE, DESIRE OF FLY, IF OPPORTUNITY COMES TO ME, I WILL NOT BE SHY, OPPORTUNITY DOES NOT MEAN SOMEONE GIVE IT TO ME, OPPORTUNITY I WILL CREATE, I WILL CREATE FOR ME, I KNOW ITS HARD IN THIS WORLD, BUT I WILL PROVE MY SELF WITH MY WORK NOT WORDS, NOW I CAN'T STEP BACK, BECAUSE THAT'S NOT ME, I WILL BECOME WHAT I WANT TO BE,

मेरा तिरंगा

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मेरे तिरंगे तेरी आन में, कई जाने कुर्बान, तू लहराता रहे इन फिज़ाओ में, इसमें हमारी शान, उन शूरवीरों के लहू से सिँचा गया केसरी रंग तेरा, उन शूरवीरो के समक्ष झुकता हैं सर मेरा, जो वादा अपनों का न पूरा कर, घर जा न सके, किसमत वाले हैं वो देश की क़सम निभा सके, सफ़ेद रंग तेरा शांति का हैं प्रतीक, माफ़ कर देना, मेरे देश का स्वभाव हैं अटिक, उसपर जो अशोक चक्र विराजमान रहता हैं, मेरे देश की सभ्यता  की कहानी वो कहता हैं, उस हरे रंग का अब क्या ही कहना, जो पहनता हैं हरियाली का गहना, मेरी धरती की मिट्टी से आज भी सोना उगता हैं, धन्य हैं वो किसान जो मेहनत से सबका पेट भरता हैं, इन तीन रंगो को मिलाकर बनता हैं तिरंगा मेरा, जिसने सभी देशवासीयो के दिल में डाला डेरा, मेरे तिरंगे तेरी आन में, कई जाने कुर्बान, तू लहराता रहे इन फिज़ाओ में, इसमें हमारी शान, 

कृष्ण

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जिन आँखों में संसार समाता,  मैं उन आँखों पर बलहारी हूँ, सारा जग जिसका दास हैं , मैं उस कृष्ण पर दिल हारी हूँ, सांवला सा रंग जिसका, चंचल हैं जिसके नैत्र, जहां भी कदम रखे वो, चन्दन सा महकने लगे क्षेत्र, ग्वालो के संग खेलता वो, करता वो माखन चोरी, भोली भाली शक्कल बनाकर, सुनता मईया  की गोद में  लौरी, धन्य हैं वो मोर पंख, जो रहता प्रभु के मुकट पर विराजमान, धन्य हैं वो मोर भी जिसे मिला ये सम्मान, जिन आँखों में संसार समाता,  मैं उन आँखों पर बलहारी हूँ, सारा जग जिसका दास हैं , मैं उस कृष्ण पर दिल हारी हूँ,