मेरा तिरंगा

मेरे तिरंगे तेरी आन में, कई जाने कुर्बान,
तू लहराता रहे इन फिज़ाओ में, इसमें हमारी शान,
उन शूरवीरों के लहू से सिँचा गया केसरी रंग तेरा,
उन शूरवीरो के समक्ष झुकता हैं सर मेरा,
जो वादा अपनों का न पूरा कर, घर जा न सके,
किसमत वाले हैं वो देश की क़सम निभा सके,
सफ़ेद रंग तेरा शांति का हैं प्रतीक,
माफ़ कर देना, मेरे देश का स्वभाव हैं अटिक,
उसपर जो अशोक चक्र विराजमान रहता हैं,
मेरे देश की सभ्यता  की कहानी वो कहता हैं,
उस हरे रंग का अब क्या ही कहना,
जो पहनता हैं हरियाली का गहना,
मेरी धरती की मिट्टी से आज भी सोना उगता हैं,
धन्य हैं वो किसान जो मेहनत से सबका पेट भरता हैं,
इन तीन रंगो को मिलाकर बनता हैं तिरंगा मेरा,
जिसने सभी देशवासीयो के दिल में डाला डेरा,
मेरे तिरंगे तेरी आन में, कई जाने कुर्बान,
तू लहराता रहे इन फिज़ाओ में, इसमें हमारी शान, 




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